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ग्रामीण मीमांसा – फार्फ (ग्रामीण विकास से संबंधित छोटी-छोटी जानकारियाँ)
- महिला उघमिता कार्यक्रम ‘ट्रीड’: महिला संबद्ध ट्रीड मे महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का विचार है। प्रशिक्षण, परामर्श , नये एसएचजी की स्थापना के लिये बैंक ग़ैर – सरकारी संगठनों को जो भी ऋण देते है, उसकी 30 प्रतिशत की राशि, जो अधिकतम 30 लाख रूपये होगी, भारत सरकार द्वारा अनुदान रे रूप मे दिये जाने का प्रावधान है। योजना का ज़ोर अधिकतर ग़ैर-कृषि क्षेत्र के स्वयं – सहायता समूहों की महिलाओं के लिये स्वरोज़गार एवं आय सृजन… गतिविधियों को बढ़ावा देने पर है। महिलाओं द्वारा की जाने वाली ग़ैर – कृषि गतिविधियों मे आमतौर पर सिलाई , हस्तशिल्प , कशादाकारी, खिलौने बनाना, रेडीमेड परिधान, मोमबत्ती निर्माण , अगरबत्ती निर्माण , काग़ज़ के कप-प्लेट निर्माण , मसाला पाउडर निर्माण , साजी बुनना , चटाई बुनना , अचार निर्माण , टोकडी एवं झाड़ू निर्माण, जूट के थैले बनाना आदि शामिल है।
- स्वच्छ भारत कोष: भारत सरकार ने वर्ष 2014 में स्वच्छ भारत कोष की स्थापना की। कोष की स्थापना का उद्देश्य स्वच्छ भारत मिशन के तहत 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती तक स्वच्छ भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिये कारपोरेट, व्यक्तियों और लोकोपकारियों से अंशदान प्राप्त किया जा सके। प्राथमिक क्षेत्रों में ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में , स्कूलों तथा लड़कियों के लिये शौचालय सहित स्वच्छता के स्तर मे सुधार लाना है। इस कोष मे किये गये अंशदान आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80जी के तहत 100 प्रतिशत आयकर से मुक्त होगे। सितम्बर 2014 से अब तक (सितम्बर 2017) इस कोष में क़रीब 600 करोड़ रूपये का अंशदान प्राप्त हुआ है।
- ग्रामीण कौशल्य योजना: दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) ग्रामीण निर्धन युवाओं के लिये प्लेसमेन्ट यानी रोज़गार से जुड़ा कौशल विकास कार्यकर्म है, जिसे ग्रामीण विकास मंत्रालय चलाता है। इस योजना के अन्तर्गत प्रशिक्षण से युवा वेतन वाला रोज़गार पाने योग्य बन जाते हैं। वित्त वर्ष 2016-2017 मे कुल 1,62,586 उम्मीदवारों को कौशल प्रदान किया गया और 84,900 को रोज़गार मिल गया।
- शिक्षको की बायोमैट्रिक उपस्थिति: बच्चों की शिक्षा तक पहुँच और पढ़ाई से जुड़े रहने के बावजूद अधिकांश बच्चों के ख़राब नतीजे अभी तक चिंता का गंभीर विषय बना हुआ है। प्राथमिक क्षेत्र के दोयम दर्जे की शिक्षा के कुक्ष बुनियादी कारणों मे से एक शिक्षकों की ग़ैर-हाज़िर रहना और व्यावसायिक द्ष्टि से कुशल शिक्षकों का अभाव है। शिक्षकों की ग़ैर-हाज़िर रहने की समस्या का हल प्राथमिक स्कुलो मे प्रत्येक निर्धारित कक्षा / व्याख्यान / सत्र के… लिये सभी शिक्षकों की बायोमैट्रिक उपस्थिति की व्यवस्थता करके किया जा सकता है। यह व्यवस्थता से भिन्न होगी, जहाँ शिक्षकों के आने जाने का रिकार्ड रखा जाता है, लेकिन कार्य के घंटों के दौरान उनकी गतिविधियों पर ज़्यादा नियंत्रण नही होता। युनेस्को -ईफए (सबके लिये शिक्षा) निगरानी रिपोर्ट २०१४ के अनुसार, भारत मे शिक्षकों की गैरहाजिरी मे 15 प्रतिशत (महाराष्ट्र ) से लेकर 42 प्रतिशत (झारखंड) तक की भिन्नता देखी गयी है। स्कुलो मे बायोमेट्रिक उपस्थिति के लागु करने से न केवल शिक्षकों के ग़ैर- हाज़िर रहने की समस्या से छुटकारा पाने मे, बल्कि छात्रों की संख्या बढ़ाने मे भी मदद मिलेगी ।
- राष्ट्रीय कृषि मंडी: पहले देश के सभी राज्यों मे अलग-अलग मंडी क़ानून थे। 14 अप्रैल, 2016 को राष्ट्रीय कृषि मंडी , वेब आधारित आनलाइन व्यापार पोर्टल की शुरूआत की गयी। इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी उपज देश भर की मंडियों के माध्यम से बेच सकेंगे । 8 जुन, 2017 तक 13 राज्यों की 419 मंडियों , 46 लाख किसान , 90000 व्यापारी एवं 47000 कमीशन एजेंट ई-नाम पोर्टल से जुड़ चूके हैं जिनके द्वारा 22179 करोड़ रूपये की राशि से… 96 लाख मीट्रिक टन का कारोबार किया जा चूका है।
- गंगा किनारे के सभी गांव ओडीएफ घोषित: गंगा के किनारे पर बसे ५२ जिलों के सभी ४४८० गांव ओडीएफ घोषित किये गये हैं। यह जिले पाँच राज्यों – उत्तराखण्ड , उत्तर प्रदेश , बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल में है। यह घोषणा ग्रामीण विकास , पंचायती राज , पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री श्री नरेन्द्र तोमर ने १२ अगस्त २०१७ को की। इसके साथ मे २४ नमामी गंगे गाँवों की पहचान की गयी है जिन्हें आदर्श गंगा ग्राम बनाया जाएगा।